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सोमवार, 27 अक्टूबर 2025

हमन ल चाही कि स्कूल, दफ्तर, अउ घर मं छत्तीसगढ़ी मं बात करन ल बढ़ावा देवव… आवव सब मिल के कसम खावव अपन छत्तीसगढ़ी बोली ल जगे रखबो, बढ़ाबो अउ अगली पीढ़ी तक पहुँचा देबो।

मोर माई-बाप, दाई-ददा, अउ गाँव-घरसू लोगन…

छत्तीसगढ़ी भाषा सिरिफ बात करे के साधन नइए, ये त हमर पहिचान, संस्कृती, अउ आत्मा के गंध आय। मोर माई-बाप, दाई-ददा, अउ गाँव-घरसू लोगन अपन भावना यही बोली मं उझरथें, हँसथें, गुनगुनाथें।

याद रखव – जेन समाज अपन भाषा ला…

आज के जमाना मं लोगन अंग्रेजी अउ हिन्दी के चमक मं अपन माटी के बोली ल भुलावत जावत हैं। पर याद रखव – जेन समाज अपन भाषा ल भुला देथे, ओ अपन जड़ ल खो देथे।

छत्तीसगढ़ी मां आत्मा बसथे।

छत्तीसगढ़ी मं अपनपन हे, मिठास हे, अउ अपन संस्कृति के सुघ्घर परछी आय। लोकगीत, पंडवानी, ददरिया, सुवा नाच ये सब मं छत्तीसगढ़ी के आत्मा बसथे।

हमन ल चाही कि स्कूल, दफ्तर, अउ घर मं छत्तीसगढ़ी मं बात करन ल बढ़ावा देवव।

बच्चा मन ल सिखावव कि ये भाषा हमर अभिमान आय।

अखबार, गीत, कविता, अउ नाटक मं छत्तीसगढ़ी ल जगे रहिबे देवव।आवव सब मिल के कसम खावव अपन छत्तीसगढ़ी बोली ल जगे रखबो, बढ़ाबो अउ अगली पीढ़ी तक पहुँचा देबो।

निवेदन 🙏 सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्त यामिनी मैथिल संपर्क करो मो 88151 19232

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