साहित्य
अकादमी,
संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय है जो 24 भाषाओं में भारतीय साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत है। अकादमी न
केवल मान्यता प्राप्त भाषाओं, बल्कि विशेष रूप से भारत की
गैर-मान्यता प्राप्त और जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन को प्रोत्साहित करती
है।
भारत
की गैर-मान्यता प्राप्त और जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए साहित्य
अकादमी इन भाषाओं के लेखकों, विद्वानों व शोधकर्ताओं को भाषा
सम्मान प्रदान करती रही है।
साहित्य
अकादमी प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को अखिल भारतीय आदिवासी लेखक सम्मेलन का आयोजन करके विश्व आदिवासी
दिवस मनाती है। मौखिक और आदिवासी साहित्य के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए, इसने अगरतला और दिल्ली में विशेष रूप से समर्पित केंद्र स्थापित किए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव-उन्मेषा के पहले संस्करण (शिमला, 16-18 जून 2022) में, 25 से अधिक
आदिवासी भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 30-35 लेखकों
ने भाग लिया। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के उद्घाटन किए गए दूसरे संस्करण
(भोपाल, 3 से 6 अगस्त 2023) में भारत और विदेश के 575 से अधिक लेखकों ने भाग
लिया। लगभग 103 भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले इन लेखकों
ने 85 साहित्यिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।
केंद्र
सरकार स्वदेशी भाषाओं और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए राज्य-स्तरीय संस्थाओं के
साथ सहयोग करती है। देश की प्रमुख साहित्यिक संस्था साहित्य अकादमी, मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त, दोनों तरह
की भारतीय भाषाओं के संवर्द्धन और विकास के लिए क्षेत्रीय कार्यक्रम, सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित करने हेतु नियमित रूप से राज्य अकादमियों,
विश्वविद्यालयों और मान्यता प्राप्त साहित्यिक संगठनों के साथ
साझेदारी करती है।
केंद्रीय
संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज राज्यसभा में एक
लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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पीके/केसी/बीयू/एसवी
प्रविष्टि तिथि: 07
AUG 2025 by PIB Delhi(रिलीज़ आईडी: 2154055) आगंतुक
पटल : 35
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